बच्चों के दिमाग को नुकसान पहुंचा रहा आनलाइन गेम का एडिक्शन -डा. प्रीती त्रिपाठी-Addiction to online games is harming the brains of children - Dr. Preeti Tripathi

बस्ती। आनलाइन गेम ने बच्चों को इंटरनेट गेमिंग डिस्ऑर्डर का शिकार बना दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक शराब या गांजा ब्रेन के जिस हिस्से को नुकसान करता है। उसी हिस्से को आनलाइन गेम का एडिक्शन भी नुकसान पहुंचाता है। जिसके चलते बच्चों के गेम खेलने से  मना करने पर या तो वे चिड़चिड़े हो जाते हैं, जिसके बाद वे अपना सारा गुस्सा अपने मां बाप पर उतारतें हैं।
     पार्थिका मेंटल वेलनेस सेंटर की क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट प्रीती त्रिपाठी के अनुसार आनलाइन गेमिंग आजकल बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। समय रहते इस समस्या का समाधान है, पर दिक्कत यह है कि बच्चों को  ओ.पी.डी मे अभिभावक तब लेकर आते है जब बच्चे को एडिक्शन के साथ ही अन्य बीमारियां भी घेर लेती है। गेमिंग एडिक्शन के चलते बच्चों में स्किल  डेवलपमेंट की कमी भी देखने को मिल रही है।
      डां.प्रीती त्रिपाठी का कहना है गेमिंग डिस्ऑर्डर लम्बे समय तक खेलने से बच्चे इसके आदती हो जाते है। गेम के अन्दर कंटेंट भी वायलेंस वाले होतें हैं। बच्चे गेम खेलने के अन्दर शूट करते हैं। ऐसे में शूट को लेकर उनके अन्दर कोई भावनात्मक लगाव नही रहता है।
ये लक्षण दिखे तो हो जाये सावधान-
बच्चा यदि चिड़चिड़ापन महसूस कर रहा हो। सामाजिक लाइफ या दोस्तो से मुलाकात कम कर रहा हो। परिवार के साथ समय व्यतीत न करता हो। अकेलापन या उदास महसूस करता हो।
क्या करना चाहिए-
छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल न दें। बच्चों पर नजर रखें, बच्चों को 2 घंटे से ज्यादा  स्क्रीन टाइमिंग न दें, इसमें मोबाइल से लेकर टीवी तक शामिल है। बच्चों को लत लगने से बचाने के लिए उसे समझाए। बच्चे को डांट फटकार न लगाए।  समय रहते क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट से सम्पर्क करें। काउंसलिंग के माध्यम से इस प्रकार के लत को पूरी तरह से छुडाया जा सकता है।

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