‘कौने देशवा से आवेले जहजिया, हमार पिया न अइले’ ‘कनवा के बडा बड़ा झाला’ बलम अम्बाला से लाई दा’ जैसे गीत मचा रहे धूम
बस्ती। बस्ती जनपद के बहादुरपुर विकास खण्ड क्षेत्र के सेमरा चीगन निवासी गोविन्द पाण्डेय के भोजपुरी, अवधी में रचे बसे गीत सुकून के साथ ही संदेश भी दे रहे हैं। जीविका के लिये मुम्बई में गुजर बसर कर रहे गोविन्द अपनी माटी और उसकी परम्पराओं को सहेजे शव्दों को स्वर दे रहे हैं। इसमें रोजी रोटी के लिये पलायन का दर्द, नायक, नायिका की बेबशी, परिवार की जिम्मेदारियों के बीच गोविन्द के गीत आध्यात्मिक हो जाते हैं। उनके सहज गीतों के बोल श्रोताओं में सहज उत्सुकता पैदा करते हैं। ‘कौने देशवा से आवेले जहजिया, हमार पिया न अइले’। ‘कनवा के बडा बड़ा झाला’ बलम अम्बाला से लाई दा’ ‘गजानन सुन लो अरज हमारी, आइल नवरातन सजल बा बजरिया, जमाना सारा नाच रहल, माई के दुअरिया’ जैसे गीत धूम मचा रहे हैं।
गोविन्द का लक्ष्य अवधी, भोजपुरी और हिन्दी सिनेमा में अच्छे कर्ण प्रिय गीत लिखने का है जिसमें जीवन यात्रा का संदेश छिपा हो। वे निराश मन को नई ताकत दे सके। गोविन्द का मानना है कि पूर्वान्चल की माटी में बहुत कुछ रचा बसा है, उसे सही शव्द मिले तो गीतों के आकाश को ऐसे समय में नवीन ऊर्जा मिलेगी जब गीतों से केवल शरीर हिल रहा है और आत्मा बेचैन है।