मुख्यमंत्री गोरखनाथ मन्दिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारम्भ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए
मुख्यमंत्री की अगुवाई में महापुराण की पोथी शोभायात्रा निकाली गई
मुख्यमंत्री गोरखपुर में दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार, श्री गोरखनाथ मन्दिर में व्यासपीठ के पूजन के उपरान्त युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारम्भ अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। सीएम योगी ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण मोक्ष ग्रंथ है। मोक्ष का अर्थ केवल जीवन से मुक्ति तक सीमित नहीं है। मोक्षदायी भागवतकथा, व्यक्ति जिस क्षेत्र में हो, उसमें पारंगत होने, उसके रहस्यों को जानने और सफलता के चरम तक पहुंचने की कथा है। श्रीमद्भागवत कथा और भगवान श्रीराम की लीला से जुड़ी कथाएं सनातन जनमानस में अत्यन्त लोकप्रिय हैं। सनातन धर्म के इन दो देवों (श्रीराम और श्रीकृष्ण) ने जनमानस को जितना प्रभावित किया है, उतना व्यापक दृष्टान्त पूरी दुनिया में कहीं और नहीं मिलता है। ऐसे दौर में जब हर व्यक्ति व्यस्त है, उन स्थितियों में भी सप्ताह भर घण्टों श्रद्धालुओं के द्वारा कथा श्रवण से जुड़ने की परम्परा है। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा अपने अतीत में झांकने व विरासत को समझने का अवसर प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि महाभारत के भीषण संघर्ष में हर प्रकार की व्यापक हानि उन्हीं वेद व्यास जी के सामने हुई, जिनके आशीर्वाद से वंश परम्परा आगे बढ़ी। सोचा जा सकता है कि वेद व्यास जी के लिए महाभारत का समय कैसा रहा होगा। वेद व्यास जी ने मनःशांति के लिए श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की। वेद व्यास जी द्वारा 5200 वर्ष पूर्व रचित श्रीमद्भागवत महापुराण निरन्तर सनातन धर्मावलम्बियों के जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हुए प्रेरणास्रोत बना हुआ है। कहा कि विचारणीय है कि कितने मत, मजहब और सम्प्रदाय का इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना होगा, किन्तु श्रीमद्भागवत कथा पांच हजार वर्ष पूर्व से मानवीय सभ्यता के आध्यात्मिक उन्नयन और भौतिक विकास के उत्कर्ष का रहस्योद्घाटन करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोक्ष अचानक नहीं प्राप्त हो सकता। इसके लिए धर्म का आचरण करते हुए नैतिक माध्यम से अर्थोपार्जन करना होगा। इस मार्ग पर चलकर कामनाओं की सिद्धि होने पर मोक्ष प्राप्ति में भी सफलता मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवतकथा मोक्ष प्राप्ति के इसी रहस्य को समझाती है। श्रीमद्भागवत महापुराण में लीला भगवान श्रीकृष्ण की है, लेकिन शब्दावली वेद व्यास जी की है, जो जीवन के रहस्यों के उद्घाटन, सनातन मूल्यों और उत्कर्ष से जुड़ी है। कहा कि सनातन धर्म की यह अक्षुण्ण मान्यता है कि धर्म केवल उपासना विधि नहीं है। पूजा पद्धति, धर्म का एक हिस्सा हो सकती है, सम्पूर्ण धर्म नहीं। इसीलिए सच्चा हिन्दू किसी एक पूजा पद्धति पर लकीर का फकीर नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि जिस धर्म (सनातन) में इतनी व्यापकता हो, जीवन के उतार-चढ़ाव को समभाव से वही देख सकता है। किसी भी उतार-चढ़ाव में सनातन धर्म की व्यापकता बनी रही है। मुख्यमंत्री के सम्बोधन के उपरान्त श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवतकथा का श्रवण व्यासपीठ पर विराजमान कथा व्यास, श्रीराम मन्दिर गुरुधाम काशी से पधारे जगद्गुरु अनन्तानन्द द्वाराचार्य काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ0 रामकमल दास वेदांती ने कराया। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारम्भ से पूर्व, मुख्यमंत्री की अगुवाई में मुख्य मन्दिर से कथा स्थल तक बैण्डबाजे, शंख ध्वनि की गूंज तथा वेदपाठी विद्यार्थियों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महापुराण की पोथी शोभायात्रा निकाली गई। मुख्यमंत्री ने शोभायात्रा के कथा स्थल पहुंचने पर अखण्ड ज्योति स्थापित की। पोथी प्रतिष्ठा और कथा व्यास के विराजमान होने के उपरान्त मुख्यमंत्री जी व अन्य यजमान ने व्यासपीठ की पूजा की।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण, गोरखनाथ मन्दिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, दिगम्बर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेश दास, काशी से आए महामण्डलेश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, बड़े भक्तमाल अयोध्या के महंत अवधेश दास, सुदामा कुटी वृन्दावन के महंत सुतीक्ष्ण दास, कालीबाड़ी के महंत रविन्द्र दास सहित सन्तगण एवं श्रद्धालुजन उपस्थित थे।
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