बस्ती। भारत मुक्ति
मोर्चा जिलाध्यक्ष आर.के. आरतियन के संयोजन में प्रेस क्लब सभागार में
पेरियार ललई सिंह यादव को जयन्ती पर याद किया गया। अध्यक्षता आनन्द
कुमार गौतम और संचालन हृदय गौतम ने किया।
कार्यक्रम में आर.के. आरतियन, ठाकुर प्रेम नन्दबंशी, डा. विनोद कुमार, डा. विजय शंकर, रेनू बाला, चन्द्रिका प्रसाद, बुद्ध प्रिय पासवान, तिलकराम गौतम आदि ने सम्बोधित किया। कहा कि द्रविड़ आंदोलन के अग्रणी, सामाजिक क्रांतिकारी पेरियार ईवी रामासामी नायकर की किताब सच्ची रामायण को पहली बार हिंदी में लाने का श्रेय ललई सिंह यादव को जाता है। उनके द्वारा पेरियार की सच्ची रामायण का हिंदी में अनुवाद करते ही उत्तर भारत में तूफान उठ खड़ा हुआ था।
वक्ताओं ने कहा कि उन्हें पेरियार की उपाधि पेरियार की जन्मस्थली और कर्मस्थली तमिलनाडु में मिली. बाद में वे हिंदी पट्टी में उत्तर भारत के पेरियार के रूप में प्रसिद्ध हुए। बहुजनों के नायक पेरियार ललई सिंह का जन्म 1 सितम्बर 1921 को कानपुर के झींझक रेलवे स्टेशन के पास कठारा गांव में हुआ था। अन्य बहुजन नायकों की तरह उनका जीवन भी संघर्षों से भरा हुआ है। वह 1933 में ग्वालियर की सशस्त्र पुलिस बल में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे, पर कांग्रेस के स्वराज का समर्थन करने के कारण, जो ब्रिटिश हुकूमत में जुर्म था, वह दो साल बाद बर्खास्त कर दिए गए। उन्होंने अपील की और अपील में वह बहाल कर दिए गए। 1946 में उन्होंने ग्वालियर में ही ‘नान-गजेटेड मुलाजिमान पुलिस एण्ड आर्मी संघ’ की स्थापना की, और उसके सर्वसम्मति से अध्यक्ष बने। उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राम सुमेर यादव, बुद्धेश राना, राम अवतार पासवान, भन्ते प्रज्ञानन्द, मो. जावेद, दुर्गेश कुमार, राम अचल यादव, रामवृक्ष गौतम, मनीराम मौर्य, विमला देवी, डा. रिफाकत अली, विनय कुमार, सीताराम भारती, राम दुलारे गौतम के साथ ही भारत मुक्ति मोर्चा सहित अनेक संगठनों के लोग शामिल रहे।
कार्यक्रम में आर.के. आरतियन, ठाकुर प्रेम नन्दबंशी, डा. विनोद कुमार, डा. विजय शंकर, रेनू बाला, चन्द्रिका प्रसाद, बुद्ध प्रिय पासवान, तिलकराम गौतम आदि ने सम्बोधित किया। कहा कि द्रविड़ आंदोलन के अग्रणी, सामाजिक क्रांतिकारी पेरियार ईवी रामासामी नायकर की किताब सच्ची रामायण को पहली बार हिंदी में लाने का श्रेय ललई सिंह यादव को जाता है। उनके द्वारा पेरियार की सच्ची रामायण का हिंदी में अनुवाद करते ही उत्तर भारत में तूफान उठ खड़ा हुआ था।
वक्ताओं ने कहा कि उन्हें पेरियार की उपाधि पेरियार की जन्मस्थली और कर्मस्थली तमिलनाडु में मिली. बाद में वे हिंदी पट्टी में उत्तर भारत के पेरियार के रूप में प्रसिद्ध हुए। बहुजनों के नायक पेरियार ललई सिंह का जन्म 1 सितम्बर 1921 को कानपुर के झींझक रेलवे स्टेशन के पास कठारा गांव में हुआ था। अन्य बहुजन नायकों की तरह उनका जीवन भी संघर्षों से भरा हुआ है। वह 1933 में ग्वालियर की सशस्त्र पुलिस बल में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे, पर कांग्रेस के स्वराज का समर्थन करने के कारण, जो ब्रिटिश हुकूमत में जुर्म था, वह दो साल बाद बर्खास्त कर दिए गए। उन्होंने अपील की और अपील में वह बहाल कर दिए गए। 1946 में उन्होंने ग्वालियर में ही ‘नान-गजेटेड मुलाजिमान पुलिस एण्ड आर्मी संघ’ की स्थापना की, और उसके सर्वसम्मति से अध्यक्ष बने। उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राम सुमेर यादव, बुद्धेश राना, राम अवतार पासवान, भन्ते प्रज्ञानन्द, मो. जावेद, दुर्गेश कुमार, राम अचल यादव, रामवृक्ष गौतम, मनीराम मौर्य, विमला देवी, डा. रिफाकत अली, विनय कुमार, सीताराम भारती, राम दुलारे गौतम के साथ ही भारत मुक्ति मोर्चा सहित अनेक संगठनों के लोग शामिल रहे।
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