बरसात के मौसम में त्वचा संबंधी रोगों का सबसे ज्यादा खतरा, इन उपायों को अपनायें - डॉ आर के त्रिपाठी -There is the highest risk of skin related diseases during the rainy season, adopt these measures - Dr. RK Tripathi

 बस्ती। धान की रोपाई के समय खेतों में इस्तेमाल होने वाली दवा के साथ ही साथ खर पतवार नाशक केमिकल युक्त दवा किसानों में होने वाले त्वचा सम्बन्धी रोगों का सबसे बड़ा कारण है।
      उक्त बातें वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक एवं डॉ आर के त्रिपाठी ने गुरुवार को जेल रोड बस्ती स्थित एक निजी चिकित्सालय में आए क्षेत्रीय किसानों को जानकारी देते हुए कहा। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में त्वचा संबंधी रोगों का सबसे ज्यादा खतरा ग्रामीण क्षेत्रो में होता है। इसका सबसे बड़ा कारण खेतों में इस्तेमाल होने वाला केमिकल एवं घरों के आस पास गन्दगी एवम जल जमाव है। इसके अलावा नमी के कारण भी फंगल इन्फेक्सन का खतरा बढ़ जाता है। इससे त्वचा पर चकत्ते, दाद, खाज, खुजली जैसी समस्यायें देखने को मिल सकती है। धान की रोपाई करते समय किसानों के हाथ पैर खुले होने की वजह से खेतों में इस्तेमाल केमिकल युक्त दवाई के सम्पर्क में आने से त्वचा पर दाने, फोड़े फुंसी एवम खुजलाहट जैसी समस्याएं बहुत कॉमन है।
बचाव के ये उपाय अपनायें किसान
     बचाव के लिए किसानों को हाथ मे ग्लब्स का इस्तेमाल करना चाहिए। घरों के आस पास गन्दगी एवं जल जमाव न होने दे। भीगे कपड़े बिल्कुल भी न पहनें, घरों में खिड़की दरवाजे कुछ समय के लिए जरूर खोल दें, सड़ी गली चीजे घर मे न रखे, किसी भी चीज को छूने के बाद हाथों को साबुन से अवश्य धुले, जूते मोजे को घर के बाहर ही रखें। बरसात में भीगने के बाद स्वच्छ पानी से स्नान कर शरीर को रगड़ कर अच्छे से सुखाकर सूखे कपड़े पहनने चाहिए। बरसात के पानी से भी शरीर में दाने पड़ जाते हैं।
     प्रायः देखा जाता है कि बारिश में लोगो को भीगने का बहुत शौक होता है। लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि भीगने से शरीर मे कई तरह की त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती है। जैसे त्वचा पर जलन, फोड़े , फुंशी, फफोले, दाद आदि। वहीं बरसात के मौसम में तमाम तरह के कीट पतंगों की भरमार हो जाती है। जिनमे कुछ जहरीले भी होते है। इनसे तमाम तरह के विषैले तरल स्राव होते है जिसके सम्पर्क में आने से त्वचा पर जलन एवम फफोले आ जाते है।
होम्योपैथी में भी बेहतर उपचार सम्भव
     होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में इन समस्याओं का बेहतर उपचार सम्भव है। तमाम तरह की दवाइयां जैसे एपिस 30, रस टॉक्स 30, डल्कामारा 30 आदि दवाईयों का उपयोग चिकित्सक के परामर्श से कर सकते हैं।

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