बकरी के दूध में डेंगूॅ रोग से बचाव की प्रतिरोधक क्षमता -डॉ0 एस0एन0 सिंह

कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया, बस्ती द्वारा अटैªक्टिंग एण्ड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्च्र (आर्या) योजनान्तर्गत ‘‘बकरी पालन’’ विषय प्रशिक्षण का आयोजन

ए.टी.एम एवं गरीबों की गाय है बकरी 

बस्ती। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित एवं कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), रावतपुर कानपुर के दिशा निर्देश में आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया, बस्ती द्वारा अटैªक्टिंग एण्ड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्च्र (आर्या) योजनान्तर्गत ‘‘बकरी पालन’’ विषय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। केन्द्राध्यक्ष डा0 एस0एन0 सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बकरी पालन ,कृषि की एकीकृत फसल प्रणाली (आई.एफ.एस.)माडल  का अभिन्न अंग है जिसमें एक ही खेत में नवयुवक बकरी पालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, सब्जी उत्पादन, बागवानी आदि करके वर्ष भर आय एवं स्वरोजगार प्राप्त कर सकते है। बकरी के मांस एवं दूध की मांग दिनों -दिन बढती जा रही है, क्योंकि बकरी के दूध में डेंगूॅ रोग से बचाव की प्रतिरोधक क्षमता है। बकरी को गरीबों की गाय एवं ए.टी.एम. भी कहा जाता है जिसे कोई भी व्यक्ति कम स्थान एवं कम पूंजी में आसानी से करके आय अर्जित कर सकता है।

डा0 डी0के0 श्रीवास्तव, पशुपालन विशेषज्ञ ने अवगत कराया कि बकरी पालन मुख्यतयः मांस, दूध, बाल, खाल एवं खाद के लिए किया जाता है। जनपद की जलवायु के अनुरूप बकरी की बरबरी, जमुनापारी, सिरोही एवं ब्लैक बंगाल उपयुक्त नस्लें है, जो दूूध के साथ ही साथ उच्च गुणवत्ता का मांस भी उपलब्ध कराती है तथा प्रत्येक ब्यात में दो बच्चे देती है। बरबरी नस्ल की बकरियांे में नर बच्चे ज्यादा पैदा होते है, जिनको आसानी से मांस हेतु पाला जा सकता है। डा0 श्रीवास्तव ने बकरियों हेतु सस्ते आवास का निर्माण, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधन द्वारा संतुलित आहार तैयार करने की विधि तथा बकरियों की प्रमुख बीमारियों एवं उनके निदान के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होने अवगत कराया कि बकरियांे को चरना ज्यादा पसन्द है, इसलिए इन्हंे चराई के साथ-साथ प्रतिदिन 250 ग्राम दाना मिश्रण भी खिलाना चाहिए जिससे बकरियों को आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, खनिज व विटामिन्स मिलते रहे और वे स्वस्थ रहकर कम अवधि में अधिक शरीर भार ग्रहण कर सके। उन्होने सलाह दी कि बकरियो को कैल्शियम, फास्फोरस आदि खनिजों की पूर्ति हेतु 25-25 ग्राम खनिज लवण मिश्रण, (25 ग्राम नमक व 20 ग्राम खडिया मिट्टी) प्रति दिन प्रति बकरी अवश्य खिलायें। बच्चों में इसकी मात्रा आधी कर दें और बकरियों में किसी प्रकार की बीमारी होने पर निकट के पशु चिकित्सक से सम्पर्क करके उनकी सलाह से ही इलाज करायें।

डा0 वी0बी0 सिंह, वैज्ञानिक जी0पी0बी0 ने अवगत कराया कि बकरियों की सबसे घातक बीमारी पी.पी.आर. है, जो बकरियों में बहुत तेजी से फैलती है, जिसके कारण बकरियांे की मृत्यु सबसे ज्यादा होती है। इसके बचाव हेतु प्रत्येक बकरी को पी.पी.आर. का टीका करण समय से अवश्य करा देना चाहिए। उन्होने प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया कि बकरियों को सदैव ताजा एवं साफ पानी ही पिलाना चाहिए क्योंकि यदि बकरियॉ तालाब, गड्ढा, पोखरा आदि का गन्दा पानी पीती है तो उनके पेट में लीवर फ्लूक, गोल कृमि, फीता कृमि आदि अन्तः परजीवी उत्पन्न हो जायेगें, जो विभिन्न रोगों के वाहक होते है, जिससे बकरियों की उत्पादन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पडता है। बकरियों को प्रत्येक छः माह के अन्तराल पर पेट के कीडें मारने की दवा (गाभिन बकरी को छोडकर) अवश्य देना चाहिए।

शस्य वैज्ञानिक, श्री हरिओम मिश्र ने अवगत कराया कि बकरियांे को हरा-चारा ज्यादा पसन्द है, इसलिए मौसम के अनुसार बरसीम, जई, लोबिया, मक्का व चरी की बुवाई करें तथा बहुवर्षीय हरा चारा जैसे हाईब्रिड नैपियर घास के साथ ही साथ पीपल, पाकड, गूलर, शूबबूल, बरगद व सहजन आदि के पौधों का रोपण करें जिससे बकरियो को वर्ष भर प्रर्याप्त हरा चारा मिलता रहे। वैज्ञानिक पौध सुरक्षा डा0 प्रेम शंकर ने बताया कि बकरीशाला की निरन्तर सफाई करते रहना चाहिए क्योंकि यदि बकरीशाला गन्दा रहेगा तो उसमे शरीर पर लगने वाले कीडें जैसे जूॅ, किलनी, मक्खी आदि उत्पन्न हो जायेगें, जो बकरियों के शरीर का खून चूसेगें जिससे उनमें कई बीमारियॉ उत्पन्न हो जायेगी और उनकी उत्पादन क्षमता प्रभावित होगी। इसलिए बकरीशाला के आस-पास गन्दगी इकट्ठा न होने दें तथा बकरीशाला की चूना से पुताई करें एवं कीटनाशक का छिडकाव निरन्तर करते रहें।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियांे का प्रमाणपत्र के साथ ही साथ बहु कटाई-बहु वर्षीय हरा चारा हाईब्रिड नैपियर के पौध भी वितरत किये गये। इस अवसर पर जितेन्द्र पाल, उमेश प्रजापति, अरमान, दीपक यादव, शाद अहमद, मनीषा आदि मौजूद रहें। कार्यक्रम का संचालन डा0 वी0बी0 सिंह ने किया।

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