प्रदूषण की रोकथाम के लिए पराली प्रबन्धन आवश्यक -संयुक्त कृषि निदेशक

पराली जलाने से कमजोर होती है मृदा की उर्वरा शक्ति, घटती है पैदावार
कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ एस.एम.एस. यंत्र का करें प्रयोग

बस्ती। फसलों के अवशेेष जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए पराली प्रबन्धन आवश्यक है। संयुक्त कृषि निदेशक बस्ती मण्डल बस्ती ए0सी0 तिवारी द्वारा मण्डल के जनपदों में कृषको को जागरूक करते हुए फसल अवशेेष न जलाये जाने का सुझाव दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से मृदा की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है तथा पैदावार में गिरावट आती है। कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ एस.एम.एस. यंत्र का प्रयोग करे जिससे पराली प्रबन्धन कटाई के समय ही हो जाय। इसके विकल्प के रूप में अन्य फसल अवषेष प्रबन्धन यंत्र जैसे- स्ट्रा रीपर, मल्चर, पैड़ी स्ट्रा चापर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेषर, रिवर्सिबुल एम.बी. प्लाऊ, स्ट्रा रेक व बेलर का भी प्रयोग कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ किया जाय जिससे खेत में फसल अवशेष बंडल बनाकर अन्य उपयोग में लाया जा सके।  कहा कि कम्बाइन हार्वेस्टर के संचालक की जिम्मेदारी होगी कि फसल कटाई के साथ फसल अवशेष प्रबन्धन के यंत्रों का प्रयोग करे, अन्यथा कम्बाइन हार्वेस्टर के स्वामी के विरूद्ध नियमानुसार कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
यदि कोई किसान बिना पराली को हटाए रबी के बुवाई के समय जीरो टिल सीड कम फर्टीड्रिल या सुपर सीडर का प्रयोग कर सीधे बुवाई करना चाहता है तो ऐसे किसानों को कृषि विभाग द्वारा निःशुल्क डी-कम्पोजर उपलब्ध कराया जाता है, जिसके लिए कृषक सम्बन्धित उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकरी या राजकीय कृषि बीज भण्डार से सर्म्पक कर डी-कम्पोजर प्राप्त कर सकते है। पराली से देशी खाद तैयार करने तथा फसल अवशेष को गोशाला में दान करने के लिए प्रेरित किया किया गया है।

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