संस्कृत शिक्षक शैक्षणिक गुणवत्ता का दायित्व निभायें- डॉ. ओम प्रकाश मिश्र

संस्कृत विद्यालयों की स्थिति बेहतर बनाने के संकल्प को लेकर मण्डलीय गोष्ठी का आयोजन
संस्कृत विद्यालयों के समस्याओं का कराया जायेगा प्रभावी निराकरण-जगदीश प्रसाद

बस्ती। सोमवार को बस्ती मण्डल में संस्कृत विद्यालयों की स्थिति बेहतर बनाने के संकल्प को लेकर मण्डलीय गोष्ठी का आयोजन प्रेस क्लब सभागार में किया गया। गोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुये संयुक्त शिक्षा निदेशक बस्ती मण्डल डॉ. ओम प्रकाश मिश्र ने कहा कि संस्कृत के शिक्षक ठान लें तो विद्यालयों में छात्र संख्या बढने के साथ ही शैक्षणिक गुणवत्ता में भी बृद्धि होगी।
गुरूकुल परम्परा से लेकर वर्तमान शिक्षण पद्धति पर विस्तार से चर्चा करते हुये डॉ. ओम प्रकाश मिश्र ने कहा कि संस्कृत भाषाओं की जननी है और समूचे विश्व में ज्ञान विज्ञान के लिये वैज्ञानिक भी संस्कृत का गहन अध्ययन  करते है। दुर्भाग्य से अपने देश विशेषकर उत्तर प्रदेश में संस्कृत पाठशालाओं के प्रति अभिभावकों का विश्वास मजबूत नहीं हो पा रहा है। इस सोच को बदलने का दायित्व संस्कृत शिक्षकों को उठाना होगा। स्वामी विवेकानन्द के शिकागो भाषण की चर्चा करते हुये डॉ. मिश्र ने कहा कि संयोग से 11 सितम्बर  1893 को स्वामी जी ने शून्य के महत्व पर जो व्यायाख्यान दिया उसकी समूचे विश्व में प्रतिष्ठा है।
जिला विद्यालय निरीक्षक जगदीश प्रसाद शुक्ल ने कहा कि संस्कृत सबसे प्राचीन समृद्ध भाषा है। संस्कृत से ही अन्य भाषायें विकसित हुई, उन्होने शिक्षकों को आश्वस्त किया कि संस्कृत विद्यालयोें की समस्याओं का प्राथमिकता से निराकरण कराया जायेगा। उन्होने शिक्षकों का आवाहन किया कि वे अपने दायित्वों का पूरी निष्ठा से निर्वहन करें। कहा कि संस्कृत विद्यालयों में छात्रोें को अंग्रेजी, विज्ञान, गणित सहित अनेक विषयों की शिक्षा दी जा रही है। अभिभावकों को चाहिये कि वे अपने पाल्योें को संस्कृत विद्यालयों से जोड़े।
संस्कृत विद्यालयों के उत्थान हेतु केन्द्रित मण्डलीय गोष्ठी में उप निरीक्षक संस्कृत पाठशालायें बस्ती मण्डल सत्येन्द्र कुमार पाण्डेय, संतकबीर नगर के जिला विद्यालय निरीक्षक संदीप चौधरी आदि ने सम्बोधित करते हुये संस्कृत विद्यालयों की वर्तमान स्थिति, समस्याओं और उत्थान पर विस्तार से प्रकाश डाला। संचालन करते हुये मानवी सिंह ने संस्कृत विद्यालयों की स्थितियों पर चर्चा की।
मण्डलीय संगोष्ठी में मुख्य रूप से आलोक कुमार दूबे, वेद नरायन पयासी, विक्रान्त राम त्रिपाठी, नन्द कुमार पाठक, श्रवण कुमार मणि त्रिपाठी, राम किंकर त्रिपाठी, वीरेन्द्रमणि त्रिपाठी, इन्द्रेश पाण्डेय, हरिश्चन्द्र पाण्डेय, अनुराधा सिंह, शशि मिश्रा, विजय लक्ष्मी, वंदना पाण्डेय, बद्रीनाथ के साथ ही बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर जनपद के अनेक संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक शामिल रहे।

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