सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं- आचार्य अरुण कुमार पाण्डेय

सावन मास में रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी
बस्ती। प्रकांड ज्योतिर्विद और विद्वान आचार्य अरुण कुमार पाण्डेय नें बताया है की  सावन के महीने में पूरे विधि-विधान से शिव जी की आराधना की जाती है. सावन का महीना बहुत ही पवित्र होता है और महादेव को यह महीना अत्यंत प्रिय है. सावन के महीने में लोग भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा-आराधना करते हैं. इस महीने भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने के खास महत्व होता है. आइए जानते हैं कि रुद्राभिषेक क्यो होता है और इसे करने के क्या लाभ मिलते हैं.
आचार्य अरुण पाण्डेय नें बताया की रुद्राभिषेक में शंकर भगवान के रुद्र अवतार की पूजा की जाती है. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप माना जाता है जो समस्त ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश करता है. रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक करना. रुद्राभिषेक में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में रुद्र ही सृष्टि का कार्य संभालते हैं, इसलिए इस समय रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी होता है. रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है.
उन्होंने बताया की पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई. ब्रह्माजी जब अपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया. उन्होंने कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ.
इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए. इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो उन्होंने हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए. कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ.
उन्होंने बताया की माना जाता है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह दोष भी दूर होते हैं. भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक करने से इसका पूर्ण लाभ मिलता है. रूद्राभिषेक करने से परिवार में सुख-शांति और सफलता आती है.
आचार्य अरुण नें बताया की रुद्राभिषेक में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है. इससे संतान प्राप्ति करने की इच्छा पूरी होती है. वहीं दही से अभिषेक करने पर कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है. इसके अलाव गंगाजल, शहद, घी, इत्र, गन्ने का रस, सरसों के तेल और शुद्ध जल से अभिषेक करने से भी शिवजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है.

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