(जितेन्द्र पाठक) संत कबीर
नगर । जिला कृषि रक्षा अधिकारी पी.सी. विश्वकर्मा ने रबी की प्रमुख फसलों
में लगने वाले कीट/रोग से बचाव हेतु किसान भाइयों को सुझाव दिया है।
उन्होंने बताया कि गेंहूं में पीली गेरुई रोग के लक्षण सर्वप्रथम पत्तियों
पर पीले रंग की धारी के रूप में दिखाई देती है। जिसे हाथ की उंगलियों से
छूने पर पीले रंग का पाउडर लग जाता है। इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर बचाव
हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रति ई.सी. की 500 मिली. मात्रा को 650-750 लीटर
पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिये।
राई/सरसो में माहू कीट द्वारा सरसो के फूलों तथा फलियों का रस चूसकर
नुकसान पहुंचाया जाता है। कीट के नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी.
अथवा क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. की 01 लीटर मात्रा को 600-700 लीटर
पानी मे घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करना चाहिये।
चना/मटर/मसूर में सेमी लूपर एवं फलीबेधक कीट के नियंत्रण हेतु एजाडीरैक्टिन
0.03 प्रति डब्लू.डी. की 2.5-3 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से अथवा
क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. की 2 लीटर मात्रा प्रति हे0 की दर से 600-700
लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिये।
उन्होंने
बताया कि किसान भाई फसल में लगने वाले रोग एवं कीट के नियंत्रण की जानकारी
सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली के नम्बर 9452247111 अथवा
9452257111 पर संदेश/व्हाट्सेप भेंजकर 48 घण्टे में समाधान प्राप्त कर सकते
हैं।
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