बीज जनित/भूमि जनित रोगों से रबी फसल के बचाव हेतु बीज शोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण - जिला कृषि रक्षा अधिकारी

( जितेन्द्र पाठक) संत कबीर नगर  जिलाधिकारी दिव्या मित्तल द्वारा दिये गये निर्देश के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी पी.सी. विश्वकर्मा ने बताया है कि माह अक्टूबर से रबी फसलों की बुवाई हेतु खेत की तैयारी प्रारम्भ हो जाती है। फसलों को सबसे अधिक क्षति रोगों द्वारा होती है। रोग महामारी का रूप धारण कर लेते हैं, तो फसल शत प्रतिशत नष्ट हो जाती है। फसलों में रोग बीज, मृदा, वायु एवं कीटों के द्वारा फैलते हैं। बीज जनित/भूमि जनित रोगों से रबी फसल के बचा हेतु बीज शोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने बताया कि दलहनी फसलों में लगने वाले प्रमुख रोग उकठा से बचाव हेतु ट्राईकोडर्मा की 2.5 किग्रा मात्रा को 60-75 किग्रा सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी की छींटा दे कर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त जुताई के समय खेत में बिखेर कर किसान भाई जुताई करें।
उन्होंने बताया कि तुलासीता रोग सफेद गेरुई रोग एवं झुलसा के निवारण हेतु थीरम 75 प्रतिशत डब्लू.एस. की 2.5 ग्राम मात्रा और मेटालैक्सिल 35 प्रतिशत डब्लू.एस. की 2 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें।
उन्होंने बताया कि जै में करनाल बन्ट, अनावृत्त कण्डुआ, आवृत्त, कण्डुआ बीज जनित रोग होते हैं, जिनके निदान हेतु बुवाई से पूर्व बीज का शोधन होना आवश्यक है। बीज शोधन हेतु ट्राईकोडर्मा पाउडर 4 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से अथवा थीरम 75 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से या कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित कर बुवाई करें।
बताया कि बीज जनित रोगों के नियंत्रण हेतु ट्राईकोडर्मा हारजिएनम 2 प्रतिशत डब्लूपी. की 4 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज बुवाई करें। 2 रासायनिक बीज शोधन हेतु थीरम 75 प्रतिशत की 2 ग्राम मात्रा या कार्वेण्डाजिम 50 प्रतिशत की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज को शोधित कर बुवाई करें।
उन्होंने बताया कि व्यूवेरिया वेसियाना की 2.5 किग्रा की मात्रा को 60-75 किग्रा सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर 8-10 दिन छाया में रखने के उपरान्त बुवाई के पूर्व अन्तिम जुताई के समय खेत में मिला देने से भूमिगत कीटों तथा दिमक कीट का प्रबन्धन किया जाता है। खड़ी फसल को प्रकोप की दशा में क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. की 3-4 लीटर अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.5 प्रतिशत एस.एल. की 400 मिली. मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिये। गन्ने की बुवाई से पूर्व बीज शोधन हेतु कार्नेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. की एक ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर गन्ने का बीज शोधन से लाल सड़न रोग से बचाव होता है।

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