सब्जियों की शुद्ध व आर्गेनिक खेती के जरिये मिसाल कायम कर रहे किसान राममूर्ति मिश्र

- जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णतः सहायक- राममूर्ति मिश्र
- जैविक खेती का कमाल, उगाई जानें वाली सब्जी के स्वाद में आयी मिठास

बृहस्पति कुमार पाण्डेय                          
बस्ती। जनपद के सदर ब्लाक के गाँव गौरा के रहनें वाले साठ वर्षीय किसान राममूर्ति मिश्र मौसम के अनुसार पोषक  त्वों से भरपूर सब्जी की शुद्ध व आर्गेनिक खेती के जरिये मिसाल कायम कर रहे हैं। वह अपने खेतो में जैविक तरीके से तैयार खाद डालकर सीजन के अनुसार सब्जियों की फसल से भरपूर उत्पादन लें रहें हैं। जिससे उनके फसल की लागत में लगातार कमी और आय में बढ़ोत्तरी हो रही है। राममूर्ति मिश्र द्वारा जैविक तरीके से तैयार सब्जियों की लहलहाती फसल इस बात की गवाही भी देती है। वह जैविक खेती कर अपनी जमीन के साथ लोगों को अस्वस्थ्य होने से बचाने में जुटे हैं। जैविक खेती का ही कमाल है की उनके द्वारा उगाई जानें वाली सब्जी के स्वाद में मिठास आयी है।
वह सब्जियों की फसल में प्रयोग के लिए खुद ही जैव उर्वरकों और जैव कीट नाशकों का निर्माण घर पर करते हैं। उनके द्वारा जो जैव उर्वरक तैयार किए गए हैं उससे उन्हें तमाम तरह के शूक्ष्म पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। जिसमें राख से फास्फोरस, सेंधा नमक से जिंक, मैग्नीज वा लोहा गंधक से सल्फर, नीला थोथा से कापर, सुहागा से बोरान, सीप और अंडा से कैल्शियम, त्रिफला से लोहा एवं मैग्नीशियम, त्रिकूट से सल्फर, धान की भूसी से सिलिकन मिलता है।
वह जैविक खादों से ही लौकी, नेनुआ, पालक, सरपुतिया, सोया, टमाटर, करेला, मटर, गाजर, मूली, सहित दर्जनों तरह की सब्जियों को उगाते रहे हैं। वर्तमान में उन्होंने मटर के साथ कई तरह की सहफसली सब्जियां उगा रखीं हैं। वह मौसम के अनुसार तमाम तरह के सब्जियों की खेती करते है। उनके खेतों में उस समय भी फसल लहलहा रही होती है जब बाजार में कई तरह के सब्जियों की आवक बहुत कम होती है। पिछले 8 वर्षों से जैविक खेती कर रहे राममूर्ति मिश्र नें बताया की उनके द्वारा उगाई गई जैविक फसलों के मार्केटिंग की अगर बात की जाये तो आढती इनके खेतों से ही मंडी मूल्य से ज्यादा रेट पर खरीद कर ले जाते हैं। जिसके चलते मार्केटिंग के लिए उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
राम मूर्ति नें बताया की जैविक खेती से लाभ के सवाल के मसले पर बताया की जैविक खेती करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है और भूमि की जल धारण की क्षमता बढती है। भूमि से पानी का वाष्पीकरण भी कम होता है। जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन देती है। अर्थात जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णतः सहायक है।
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