देश का संविधान बनाने में बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर की भूमिका महत्वपूर्ण - सोनिया

डॉ0 बी0 आर0 अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर शत शत नमन - सोनिया
जितेन्द्र पाठक
हमारे देश का संविधान बनाने में बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वह भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता तथा स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे। बाबा साहब एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिक तथा एक महान समाज सुधारक थे । इन्होंने दलित समाज, मजदूर वर्ग तथा महिलाओं के सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज आवाज उठाई और बहुत सारे अभियान चलाएं। राष्ट्र के प्रति उनका बहुमूल्य योगदान रहा और अनेक सामाजिक बुराइयों को दूर किया । उनके प्रयासों को और उनके द्वारा शिक्षा की दी गई महत्व को हम सदैव स्मरण रखेंगे। डॉ0 अंबेडकर दलित और शोषितों की आवाज बन गए थे, वे दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। सामाजिक छुआछूत, जातिवाद को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन दलितों गरीबों समाज के पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने खुद भी इस छुआछूत भेदभाव तथा जातिवाद का सामना किया।  जिसने भारतीय समाज को अंदर से खोखला कर दिया था। संविधान निर्माता डॉ0 भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था । इनके पिता का नाम रामजी मलोजी सकपाल तथा माता का नाम भीमाबाई था। अपने माता पिता की चौदहवीं संतान के रूप में जन्मे डॉ आंबेडकर जन्म से ही प्रतिभा संपन्न थे। इनका जन्म महार जाति में हुआ था। जिसे लोग अछूत तथा नीची जाति मानते थे। उन्होंने अनेक सामाजिक विषमताओं का सामना किया।  प्रतिभावान होने के बावजूद अंबेडकर को अस्पृश्यता के कारण अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। डॉ0 अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया इस समारोह में उन्होंने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणि से पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील अपनाते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया।
परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यो मे से एक है  
बौद्ध धर्म के अनुसार जो निर्वाण प्राप्त कर लेता है वह सांसारिक इच्छाओं और जीवन की पीड़ा से मुक्त हो जाता है यानी उसे बार-बार जन्म नहीं लेना पड़ता। निर्वाण प्राप्त करना बहुत कठिन होता है इसके लिए किसी को भी बहुत सदाचारी धर्म सम्मत जीवन जीना होता है। बाबा साहब का पार्थिव अवशेष का अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के अनुसार मुंबई के दादर चौपाटी में हुआ था जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया उस जगह को अब चैत्य भूमि के तौर पर जाना जाता है । डॉ0 अंबेडकर दलितों के प्रति सुधार में बहुत से सराहनीय कार्य किए जातिवाद, छुआछूत जैसी प्रथा को समाप्त करने में उनकी महान भूमिका रही उन्हें  बौद्ध गुरु माना जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है डॉ0 अंबेडकर भगवान बुद्ध की तरह बहुत ही प्रभावी और सदाचारी थे और इस कारण अपने कार्यों की वजह से वह निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं इसी कारण उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण के रूप में मनाया जाता है।
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