-योगी बलवन्त सिंह
चीन के वुहान प्रांत से शुरू हुए कोरोना वायरस ने विश्व कई हिस्सों को चपेट में लेने के बाद अब भारत में भी दस्तक दे दिया है। यह लेख लिखे जाने तक देशभर में इस जानलेवा वायरस के 50 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, (इनमे 16 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं) जिनमें से केरल के 3 मरीज इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं। यह सच है कि कोरोना एक खतरनाक वायरस है लेकिन उतना भी नहीं, जितना लोग भयभीत हैं। इस भय का मुख्य कारण भ्रम, अफवाह और जानकारी के अभाव है। सोशल मीडिया या संचार के अन्य माध्यमों से लोग जब सुनते हैं कि अभी इसकी कोई दवा नहीं बनी है तो वे यह समझते हैं कि जो भी इसकी चपेट में आया उसकी मौत निश्चित है। जबकि सच में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों की मृत्यु दर 3.4% है, जो अन्य वायरल बीमारियों की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं है।
क्या है कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है, इसलिए न तो अभी लोगों में इसके विरुद्ध इम्यूनिटी विकसित हुई है और न ही इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका बना है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है।
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?
इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना, शरीर में तेज दर्द और गले में खराश जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं। किसी किसी व्यक्ति में न्यूमोनिया जैसे गंभीर लक्षण भी देखने को मिलता है । कैंसर, शुगर, हृदय रोग, लीवर या गुर्दे से जुड़े रोग तथा फेफड़ों के संक्रमण जैसे किसी जटिल बीमारी से ग्रस्त रोगियों और कमजोर प्रतिरक्षातंत्र वाले लोगों के लिए यह जानलेवा सिद्ध हो सकता है।
क्या हैं इससे बचाव के उपाय?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनके मुताबिक बार-बार हाथों को साबुन से धोना चाहिए। अल्कोहल आधारित हैंड रब का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्यू पेपर से ढककर रखें। जिन व्यक्तियों में कोल्ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें। अंडे और मांस के सेवन से बचें। जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
क्या यह लाइलाज है?
विशेषज्ञों के हवाले से मीडिया द्वारा बार बार यह बताया जाता है कि अभी इसकी कोई दवा नहीं बन सकी है। इससे आम जन में भय और गलतफहमी पैदा होती है। सच तो यह है के वायरल बीमारियों की कोई दवा नहीं होती, हमारे शरीर में व्याप्त प्रतिरक्षा तंत्र ही इनसे मुकाबला करके इन्हें नष्ट करता है। इस दौरान बड़े बड़े अस्पतालों में जो दवाएँ दी जाती हैं वे या तो रोग के दर्द व ज्वर आदि उपसर्गों को शांत करती हैं या फिर सेकेंडरी इन्फेक्शन रोकती हैं। रोग तो एक निश्चित अवधि के भीतर स्वयं ठीक होता है। यह कार्य हमारी इम्यूनिटी के कारण होता है, इसमें किसी दवा की कोई भूमिका नहीं होती। हमारे भीतर अब तक आने वाले अनेक प्रकार के वायरस के विरुद्ध प्रतिक्रिया शक्ति विकसित हो चुकी है इसलिए वे अब उतने घातक नहीं सिद्ध होते जितना कि पहले होते थे। चूँकि कोरोना वायरस से हमारा सामना पहली बार हो रहा है इसलिए अभी यह घातक होने सिद्ध हो सकती है। लेकिन जैसे जैसे हमारे भीतर इसके विरुद्ध प्रतिक्रिया शक्ति विकसित होती जाएगी वैसे वैसे यह भी सर्दी जुकाम व फ्लू की भाँति एक सामान्य बीमारी के रूप में परिवर्तित होकर रह जायेगा।
कोरोना और आयुर्वेद-
आयुर्वेद में ऐसी अनेकों औषधियाँ हैं जो इसके उपचार में लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं। सरकार को इस तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका उपचार वातश्लेष्म ज्वर की भाँति होगा। चूँकि यह कार्य अनुभवी व कुशल आयुर्वेदाचार्यों देख रेख में ही संभव है इसलिए उन दवाओं का नाम यहाँ नहीं लिखा जा सकता। यहाँ हम इससे बचाव हेतु शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए एक क्वाथ का नुस्खा अवश्य दे रहे हैं। यह सर्दी, जुकाम, बुखार व स्वाइन फ्लू जैसे अनेक प्रकार वायरल बीमारियों में कारगर साबित होता है, कोरोना की रोकथाम में भी यह लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
👉गिलोय 5 ग्राम, तुलसी 10 से 20 पत्ता, काली मिर्च 10 नग, अदरक 5 ग्राम, हल्दी 5 ग्राम। इन सभी को एक लीटर पानी में धीमी आँच पर उबालें, जब एक पाव बचे तब छान लें। इसे 50-50 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम खाली पेट पीना है। कोरोना के संक्रमण का प्रकोप रहने तक इसी अनुपात में काढ़ा बनाकर परिवार के सभी लोग सेवन करें।
कोरोना और होम्योपैथी-
होम्योपैथी द्वारा भी इसका इलाज संभव है। होम्योपैथिक औषधि किसी बैक्टीरिया या वायरस को सीधे नहीं नष्ट करती बल्कि यह जीवनीशक्ति को बढा़ती है जिससे शरीर स्वयं ही रोग को दूर भगाने में सक्षम हो जाता है। होम्योपैथिक चिकित्सा किसी रोग, वायरस, या बैक्टीरिया के आधार पर नहीं बल्कि रोगी में प्रकट होने वाले लक्षणों के आधार पर की जाती है, इसलिए इसकी कोई स्पेसिफिक मैडिसिन नहीं बताई जा सकती। इसके पूर्व चिकन पाक्स, हर्पीज जोस्टर, एनफ्लूएँजा, डेंगू व चिकनगुनिया जैसे रोगों के इलाज में होम्योपैथी ने बहुत अच्छे परिणाम दिए है।
👉कोरोना वायरस के संक्रमण से रोकथाम हेतु होम्योपैथिक दवा Arsenic Album. 30 की दो गोली तीन दिन तक सुबह खाली पेट सेवन करें। इसके बाद जब तक इसका प्रकोप रहे तब तक सप्ताह में एक बार दो गोली लेते रहें।
कोरोना और योग-
अधिकतर वायरल बीमारियों में कोई दवा नहीं काम करती। एक निश्चित समय के भीतर हमारा शरीर स्वंय उसके विरुद्ध प्रतिक्रिया शक्ति (इम्यूनिटी) विकसित कर उन्हें निष्प्रभावी कर देता है। योगाभ्यास से व्यक्ति की प्राणशक्ति, जीवनीशक्ति, इच्छाशक्ति, व रोगप्रतिरोधक क्षमता में असाधारण वृद्धि होती है। इसके कारण प्रथम तो वह किसी संक्रामक रोग से ग्रस्त होता नहीं और यदि किसी कारण से हो भी गया तो शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो जाता है। इसलिए योगाभ्यास तो सभी को नियमित करना चाहिए।
👉पवनमुक्तासन समूह एक (BSY मुंगेर)
क्षमतानुसार- सूर्य नमस्कार, वज्रासन, शशाँक आसन, धनुरासन, भुजंगासन, जानुशीर्षासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तान आसन, जठर परिवर्तन आसन, शवासन।
👉उज्जाई प्राणायाम, कुंभक रहित नाड़ीशोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, शवासन की मुद्रा में प्राणाकर्षण प्राणायाम।
👉इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए प्राण मुद्रा में ऊँकार का नाद और महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी किया जा सकता है।
सामान्यतः ज्वर जनित स्थितियों में आसन प्राणायाम का निषेध किया जाता है, इसलिए बीमारी की अवस्था में उक्त अभ्यास नहीं किये जा सकते। ऐसी दशा में यथा संभव यौगिक श्वसन, अंतर्मौन, शवासन, योगनिद्रा, व प्राणाकर्षण क्रिया का अभ्यास करना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति की अति संवेदनशीलता, तनाव, भय, बेचैनी व निराशा आदि दूर होगी तथा उसमें प्राणशक्ति, आत्मबल, उत्साह व आशा का संचार होगा। जो कि रोगमुक्त होने में चमत्कारिक लाभ दे सकता है।