हर्षाल्ल्लास के साथ मनाया गया मकर संक्रांति का पर्व

बस्ती। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बस्ती की माधव प्रभात शाखा आवास विकास द्वारा स्थानीय टीवी टावर पार्क में मकर संक्रांति का पर्व हर्षाल्ल्लास के साथ मनाया गया। मुख्य वक्ता के रूप में नगर प्रचारक राजीव जी ने स्वयंसेवकों को त्योहार का महत्व बताते हुए कहा कि त्योहार हमें एक सीख देते हैं। हमें उसका अनुसरण करना चाहिए। आज का मकर संक्रांति का भी अपना एक अलग महत्व है। इस त्यौहार के मनाये जाने के पीछे खगोलीय घटना के विषय में बताया। कहा यह अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। यह पर्व हमें समरसता का संदेश देता है। यह हमें सामूहिकता के साथ अपनों को जोड़ता है। अपने संस्कृति का ज्ञान बोध कराता है। उन्होंने कहा कि जब समाज में जागृति आयेगी तभी हम परिवर्तन देख सकते हैं। सरकार का अपना काम है परन्तु हमारा काम अपनी संस्कृति की गरिमा को बनाये रखना है। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को हर पर्व के विषय में बताना चाहिए।  


नगर प्रचारक ने कहा कि आज हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है, हम चिन्तन अवश्य करते हैं परन्तु उसे क्रियाशीलता में लायें। उन्होंने कहा हम मन में चिन्तन कर लें तो वह काम हो जायेगा ऐसा नहीं है हमें क्रियाशील होना होगा तभी वह काम हो पायेगा। चींटी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किस प्रकार वह संघर्ष करती है, गिरती उठती और फिर चलती है वह एकजुटता के साथ चलती है। इससे हमें सीख मिलती है कि हम एकजुटता के साथ आगे बढ़े समाज के लिए कार्य करें। हमारे धर्मशास्त्रों में भी ‘चरैवेति’ कहा गया इसका अर्थ है हमें निरन्तर चलते रहना चाहिए। भारत के स्वर्णिम काल के बारे में बताते हुए कहा कि हम सजग रहे, जागरूक रहें तो समाज में बदलाव अवश्य आयेगा।


इस अवसर पर नगर संचालक सुधीर अग्रवाल जी, विभाग कार्यवाह नागेन्द्र प्रताप सिंह कुंवर जी, नगर कार्यवाह अभय जी, मुख्य शिक्षक धर्मराज मिश्र, सह मुख्य शिक्षक राजीव, शाखा कार्यवाह विजय यादव, व्यवस्था प्रमुख दिनेश, सर्वेश, चन्द्रशेखर, रामचरन चौधरी, रामचेत, बृजेन्द्र, आनंद, नीरज सिंह, गुड्डू पाण्डेय, सुनील मिश्र, सत्यवान सिंह, अटल बिहारी गौड़, धर्मेन्द्र पटेल, अर्जुन वीर श्रीवास्तव, बंटी सिंह, विनय सिंह, सदानंद पाल, हेमंत भट्ट, उमेश सिंह, रमाकांत सिंह, पवन श्रीवास्तव फास्टर, अतुल सिंह, रंजीत श्रीवास्तव सहित सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।



 


 


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