आंगनबाड़ी सीडीपीओ और सुपरवाइजर ने सीखे सहयोगात्‍मक पर्यवेक्षण के गुर

सीडीपीओ और सुपरवाइजर केवल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्यों का पर्यवेक्षण ही न करें, बल्कि उनके कौशल को विकसित करते हुए मजबूती भी प्रदान करें- जिला कार्यक्रम अधिकारी


जितेंद्र पाठक, संवाददाता

संतकबीरनगर। बाल विकास व पुष्‍टाहार विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी विजय श्री ने कहा है कि सीडीपीओ और सुपरवाइजर केवल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्यों का पर्यवेक्षण ही न करें बल्कि उनके कौशल को विकसित करते हुए मजबूती भी प्रदान करें। इससे आंगनबाडी कार्यकर्ता के साथ ही विभाग भी मजबूत होगा, जिससे समाज के अन्तिम व्‍यक्ति तक योजनाओं को पहुंचा सकेंगे।

यह बातें उन्‍होने उत्‍तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई ( यूपीटीएसयू ) के त्‍त्‍वावधान में मुख्‍य विकास अधिकारी कार्यालय के सभागार में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं तथा सुपरवाइजर्स के दो दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान कहीं। उन्‍होने कहा कि वर्तमान समय में ग्राम स्‍तर से प्रादेशिक स्‍तर तक आनलाइन डाटा भेजा जा रहा है। कैस साफ्टवेयर पर काम हो रहा है, इस दौरान प्रशिक्षण के बाद भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जब पर्यवेक्षण में जाएं तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के समक्ष जो दिक्‍कते आ रही हैं, उसको भी दूर करने का प्रयास करें।

उत्‍तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई ( यूपीटीएसयू ) के प्रशिक्षकों ने उन्‍हें 5 पेज की चेकलिस्‍ट भरने के तरीके भी बताए, ताकि पर्यवेक्षण बेहतर तरीके से किया जा सके। इस दौरान उनको आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा मुख्‍य सेविकाओं के दायित्‍वों के बारे में बताया गया। रोल प्‍ले के द्वारा संचार के प्रभावी तरीकों के बारे में जानकारी दी गयी। साथ ही प्रतिभागियों से प्रशिक्षण के बारे में फीडबैक भी लिया गया। प्रशिक्षण ले रही सुपरवाइजर वन्‍दना सिंह ने बताया कि यह प्रशिक्षण बहुत ही प्रभावी है। इसकी बदौलत हमें यह जानने को मिला कि हम किस प्रकार से सहयोगात्‍मक पर्यवेक्षण करके आंगनबाडी कार्यकर्ता को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। प्रशिक्षण के दौरान सीडीपओ अनुज सिंह, वीरेन्‍द्र नाथ तिवारी तथ सुपरवाइजर बिन्‍दू यादव, मंजू श्रीवास्‍तव, उषा मगहिया, नन्दिनी, महजबीन, शकीला, रागिनी गौड़ तथा अन्‍य उपस्थि‍त रहीं।

प्रोजेक्‍टर के जरिए बताया संचार का तरीका

प्रशिक्षण के दौरान यह बताया गया कि अधीनस्‍थों के बीच में संचार किस प्रकार से करें कि उसका स्‍वरुप न बिगड़े। इसलिए यह मौखिक या अन्‍य तरीके से नहीं होना चाहिए। बल्कि यह पूर्ण रुपेण लिखित हो, ताकि भ्रम की स्थिति न रहे। इसके लिए एक फिल्‍म भी दिखाई गई। जिसमें 20 लोगों को खड़ा करके इशारा और एक वाक्‍यांश बोलने के लिए कहा जाता है। एक व्‍यक्ति से धीरे से वह इशारा व वाक्‍यांश बोलकर आगे वाले को वही इशारे व वाक्‍यांश आगे बढ़ाने के लिए कहा जाता है। 20वें व्‍यक्ति तक पहुंचने के बाद उसका अनर्थ हो जाता है।

 


मुख्‍य विकास अधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित प्रशिक्षणार्थी


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