बस्ती । माता का स्थान समाज में प्रथम शिक्षक के रूप में स्वीकार किया गया है क्योंकि वह सन्तान को गर्भकाल से लेकर विद्यालय जाने से पूर्व तक आचार-विचार, व्यवहार, गुण, कर्म, स्वभाव आदि की शिक्षा अपने दैनिक जीवन के कर्म व व्यवहार से देती है। एक अनपढ़ माॅ का भी बालक विद्वान हो जाता है इस प्रकार सन्तान के सर्वांगीड़ विकास में माता का स्थान सर्वोपरि है। उक्त बातें मुख्य अतिथि डा0 रश्मि पाण्डेय संरक्षिका आर्य वीरांगना दल ने आर्य समाज के 48वे वार्षिकोत्सव में महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिवस पर आयोजित नारी जागृति सम्मेलन में माताओं को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि आज बेटियों का वेश ठीक न होने से समाज में उनकी दुर्गति हो रही है। प्रत्येक माता को इस पर ध्यान देना होगा। इस अवसर पर संचालिका बीना वर्मा ने बच्चों के विकास में माताओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्हें बच्चों की संस्कारयुक्त शिक्षा के लिए प्रेरित किया। आचार्य सोमदेव ने कहा कि माता पिता व गुरु में माता का स्थान श्रेष्ठ है उसे तो सब अधिकार है वह जैसा चाहे वैसा बच्चे को बना सकती है इसीलिए ऋषियों ने प्रथम पाॅच संस्कारों के निर्माण का दायित्व माता को सौंपा है पर खेद है कि आज की माता इन संस्कारों को भूलती व पाश्चात्य संस्कारों को सन्तान के ऊपर थोप रही हैं। ऐसे में माताओं को अपने पूर्वजों के संस्कारों को प्रदान करने का संकल्प लेकर उन्हें श्रेष्ठ नागरिक बनाने में सहयोग कर सकती हैं। पं0 दिनेश आर्य व पं0 राम मगन ने अपने भजनोपदेश के माध्यम से माताओं से उत्तम खान-पान व पठन-पाठन का व्यवहार धारण करने की प्रेरणा दी। आचार्य शैलेन्द्र शास्त्री ने बताया कि सन्तान माॅ और गुरु के गुण से विद्वान, पिता के गुण से चरित्रवान व अपने गुणों से धनवान होता है बताया कि आधुनिक परिपेक्ष्य मंे नारी अपने जिन स्तर के लिए संघर्ष कर रही है जिससे प्रमुख रूप से सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र है । जब तक इन दो क्षेत्रों मंे महिलाओं का सम्मान एवं उत्थान नही होगा तब तक समस्त भारत का सपना साकार नही हो सकेगा। अंत मंे आर्य समाज नई बाजार के प्रधान श्री ओमप्रकाश आर्य ने कहा कि आज आवश्यकता है महिलाओं को प्रोत्साहन एवं अवसर देने की, महिलाएं अपने कार्याे के प्रति कर्तव्य निष्ठ एवं जागरूक होती है ं। हर सफल पुरूष के पीछे किसी महिला का हुये कहा कि माता ही समाज के निर्माण का मूल स्रोत है ।
सन्तान के सर्वांगीड़ विकास में माता का स्थान सर्वोपरि-डा0 रश्मि पाण्डेय
bySarvesh kumar Srivastav
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