सात दिवसीय पुस्तक मेला का शुभारम्भ

पुस्तकें हमारे जीवन को तराशने का काम करती है-अरविन्द कुमार सिंह


साँची वाणी संवाददाता
बस्ती। सात दिवसीय पुस्तक मेला का शुभारम्भ स्थानीय प्रेस क्लब में हुआ। पुस्तक मेले के मुख्य अतिथि राज्यसभा टीवी के संसदीय मामलों के सम्पादक अरविन्द कुमार सिंह ने कहा की पुस्तकें हमारे जीवन को तराशने का काम करती है। उनके अध्ययन से हमारे मन-मस्तिष्क का विकास होता है। आज भले ही ई-मीडिया का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ रहा हो मगर किताबों की जगह वो कभी नहीं ले सकती। पुस्तक मेला के शुभारम्भ से पूर्व यज्ञाचार्य देवव्रत आर्य ने हवन कराया। इण्डियन पब्लिक स्कूल, डान वास्को स्कूल के बच्चों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। अध्यक्षता करते हुए राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा की पुस्तकों का अध्ययन हमारे दिमाग को मजबूत बनाता है। पुस्तकों का अपना अलग महत्व होता है। हमें अपनी पीढ़ी को पुस्तकों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि डीआइजी रेलवे सुरेश सैनी ने पुस्तक मेले को बस्ती के लिए मील का पत्थर बताया। पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन, राजा पाकेट बुक्स, राजकमल प्रकाशन, प्रभात पेपर बैक्स, डायमण्ड पाकेट बुक्स, तुलसी साहित्य पब्लिकेशन, वायु एजुकेशन आफ इण्डिया, मोटीवेशनल बुक्स, वी एण्ड ण्स पब्लिकेशन, सस्ता साहित्य मण्डल, संस्कृति प्रकाशन वाराणसी, रामकृष्ण मठ के स्टाल लगे हुए है। जिनमें सबके रूचि की किताबें मौजूद है। उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डा रामनरेश सिंह मंजुल, कर्नल के.सी. मिश्र, राना दिनेश प्रताप सिंह, केडीसी प्राचार्य डा. जे.पी. शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश चन्द्र पाण्डेय, कात्यायनी चतुर्वेदी ने आयोजन को बस्ती के लिए सार्थक प्रयास बताते हुए कहा की पुस्तकों के अध्ययन से तार्किक शक्ति का विकास होता है। पुस्तक मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष अखिलेश दुबे ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस मौके पर प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, डा. अश्वनी सिंह, डा. राम कुमार, कैलाश नाथ दूबे, राजेश मिश्र, कुलविन्दर सिंह मजहबी, स्नेहा पाण्डेय, नीलम मिश्रा, राजकुमार पाण्डेय, मजहर आजाद, राम कृष्ण लाल जगमग, डा. कुलदीप सिंह, राममूर्ति मिश्र, अनुराग शुक्ल, देवव्रत आर्य, विष्णु शुक्ल, आकाश पिल्लई, धर्मेन्द्र पाण्डेय, जितेन्द्र कौशल सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।



 

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