-जीवन शैली में सुधार न होने पर अन्य बीमारियों का भी होता है खतरा
संतकबीरनगर। आज की भाग-दौड़ भरी जिदगी और अनियमित जीवनशैली के चलते लोग मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो तेजी से बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपना निशाना बना रही है । मधुमेह होने के बाद व्यक्ति अगर सतर्क न हो और अपनी जीवनशैली में सुधार न करे तो वह अन्य कई बीमारियों की चपेट में आ सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए 20 नवम्बर को स्वास्थ्य विभाग के सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ हरगोविन्द सिंह ने बताया- जब मनुष्य के शरीर के पेंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज या मधुमेह कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। टाइप-1 मरीज में पेंक्रियाज में हारमोन इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, जिससे मरीज के खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है। वहीं टाइप-2 मरीज में पेंक्रियाज में जरूरत के हिसाब से इंसुलिन नहीं बनता है या हारमोन ठीक से काम नहीं करता है। डॉ सिंह ने बताया - अक्सर ऐसा देखा गया है कि ब्लड शुगर की रिपोर्ट नॉर्मल आते ही मरीज खानपान में परहेज नहीं बरतते। इसलिए जो भी खाएं सोच-समझ कर खाएं। मधुमेह रोगी का आहार केवल पेट भरने के लिए नहीं होता बल्कि उसके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को संतुलित करने में भी सहायक होता है। यह ऐसा रोग है जिसमें मरीज को काफी परहेज से रहना पड़ता है। शुगर से किडनी, आंख व हार्ट को विशेष खतरा रहता है ।
मधुमेह के लक्षण
बार - बार प्यास लगना, बार - बार पेशाब आना, लगातार भूख लगना, दृष्टि धुंधली होना, अकारण थकावट महसूस होना, अकारण वजन कम होना, घाव ठीक न होना या देर से घाव ठीक होना। बार बार पेशाब या रक्त में संक्रमण होना।
कैसे कर सकते हैं मधुमेह से बचाव
मधुमेह से बचने के लिए पहले जीवनशैली को बदलें । कम कैलोरी, विशेष रूप से कम संतृप्त वसा वाला आहार खाएं। अनुपात हिस्सों में भोजन करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। शराब व धूम्रपान का सेवन न करें। पर्याप्त नींद लें। तनाव से दूर रहें। नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।