एक ही स्थान पर अधिक पशु रखने की होगी व्यवस्था-जिलाधिकारी
बस्ती। 30 से कम क्षमता वाले गोवंशीय पशु आश्रय स्थल अब बंद किये जायेंगे। शासन के उक्त निर्देश की जानकारी देते हुए जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने सभी बीडीओ से ऐसे आश्रय स्थलों की सूची मांगा है। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित निराश्रित, बेसहारा पशु आश्रय स्थल, गो संरक्षण केन्द्र, कान्हा हाउस एवं गोशाला की समीक्षा में उन्होंने कहा कि कम पशु आश्रय स्थल के रखरखाव पर संसाधन की कमी को देखते हुए एक ही स्थान पर अधिक पशुओं को रखने की व्यवस्था की जायेगी।
उन्होंने पशुपालन विभाग को निर्देश दिया कि सभी छोटे गोवंशीय पशुओं को इन आश्रय स्थलां में रखा जाय। वे बाहर छुट्टा न घूमें। विशेष रूप से उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग को निराश्रित पशु मुक्त करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग का काफी हिस्सा जिले में पड़ता है, इस पर छुट्टा पशु न घूमें। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी एस0डी0एम0 गोवंशीय पशु आश्रय स्थल में रखे गये पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए चारागाह की भूमि चिन्हित कर ग्राम पंचायत को दें। यदि इस पर अवैध कब्जा है तो उसे तत्काल हटवायें। गो आश्रय स्थल के निरीक्षण में ज्ञात हुआ है कि पशुओं के लिए चारा नहीं मिल पा रहा है।
जिलाधिकारी ने कहा कि सभी गो आश्रय स्थलों में खाद गड्ढा 10 दिन में बनवा दिया जाये। राज्य वित्त आयोग के पैसे से कंटीलें तारों से बाउण्ड्री बनवायें। वन विभाग खाली भूमि पर वृक्षारोपण कराये। पशुओं को ठंड से बचाने के लिए शेड को बोरों या प्लास्टिक से घिरवाया जाये। शेड के ऊपर तथा फर्श पर पुआल डाला जाय।उन्होंने कहा कि गोवंशीय पशुओं को नजदीक के लोगों के सुपुर्दगी में दिया जाये। इसके लिए उन्हें प्रतिदिन 30 रूपये भूसा एवं पौष्टिक आहार के लिए दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि सभी ब्लाक में 100-100 पशु सुपुर्दगी में देने का लक्ष्य है।
जिलाधिकारी ने कहा कि गो आश्रय स्थल से निकलने वाली खाद लोगों को बेची जा सकती है और इससे प्राप्त धन से पशुओं को पौष्टिक आहार दिया जायेगा। खाद के मार्केट रेट पर बेचा जायेगा और इसका लेखा जोखा सचिव रखेंगे। उन्होंने कहा कि शासन के यह भी निर्देश हैं कि सभी आश्रय स्थलों को अपनी आय खुद पैदा करनी होगी। इसके लिए क्षेत्र के लोगों को प्रेरित करना होगा। अपने जीवन के शुभ अवसरों पर ऐसे गो आश्रय स्थलों को दान दें। बैठक में कप्तानगंज ब्लाक के जंगल कठार गोशाला के रखरखाव एवं सहयोग पर भी चर्चा की गयी।
शासन द्वारा जिले के लिए नामित नोडल अधिकारी/संयुक्त निदेशक पशुपालन डा0 विद्याभूषण ने बताया कि एक स्थान पर अधिक से अधिक पशु रखे जायें ताकि उनकी समुचित देखभाल की जा सके। उन्होंने आश्रय स्थलों में रखे गये सभी पशुओं का टैगिंग कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्साधिकारी नियमित रूप से गो आश्रय स्थल के पशुओं की जांच करें तथा उनका इलाज करें।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 अश्वनी तिवारी ने बताया कि जिले में कुल 114 अस्थायी पशु आश्रय स्थल हैं जिसमें 2076 पशु रखे गये हैं। जिले में कुल 3850 गोवंशीय निराश्रित पशु चिन्हित हैं। नगरपालिका बस्ती एवं नगर पंचायत रूधौली तथा दो पंजीकृत गोशाला मिलाकर जिले में कुल 2733 पशु संरक्षित किये गये हैं। इनके भरण पोषण के लिए कुल 1.36 करोड़ रूपये शासन से प्राप्त हुए हैं जबकि 6.70 करोड़ रूपये की मांग की गयी है।
बैठक में सीडीओ अरविन्द पाण्डेय, एडीएम रमेश चन्द्र, सीआरओ चन्द्रप्रकाश, बीडीओ अजीत श्रीवास्तव, उपायुक्त मनरेगा इन्द्रपाल सिंह, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीना, एसडीएम श्रीप्रकाश शुक्ला, सभी खण्ड विकास अधिकारी तथा पशु चिकित्साधिकारी उपस्थित रहे।